अब यूपी की न्याय व्यवस्था पर एक के बाद एक सवालिया निशान लग रहे हैं और आज दिनांक 2 अक्टूबर 2020 को हाथरस की दलित लड़की मर्डर केस में DM हाथरस पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने लड़की के परिजनों के साथ मारपीट की है.
इस से पहले लड़की का दाह संस्कार भी बिना परिजनों के आधी रात को कर दिया गया और लड़की की लाश को देखने और एक बार घर ले जाने की मांग भी ठुकरा दी गई. लोग इसे हिन्दू धर्म और संस्कृति के खिलाफ बता रहे हैं. जबकि प्रशाशन के लोग अपने बयानों में कहते दिख रहे थे कि रीति रिवाज समय के साथ बदलते रहते हैं.
इसके बाद जब कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी अपनी बहन प्रियंका गाँधी वाड्रा के साथ उन लड़की के परिजनों से मिलने की कोशिश करने पर उनके साथ धक्का मुक्की कर उन्हें गिरा दिए जाने के आरोप भी पुलिस और प्रशासन पर लगाये जा रहे हैं.
और भी महिला नेताओ के कपडे फाड़े जाने और मीडिया कर्मियों को धमकाने के आरोपो कि बौछार भी यूपी सरकार के कामकाज और न्याय व्यवस्था पर लगातार उड़ेले जा रहे हैं. अब जाकर यूपी के मुख्य्मंत्री आदित्य नाथ का बयान आया है कि दोषियों को ऐसे सजा दी जाएगी जो अपने आप में मिसाल साबित होगी.
लेकिन अभी भी प्रशाषन के उन तौर तरीको पर सवालिया निशान लग रहे हैं जिसमे उनके अफसरों ने मामले को फेक बता कर मीडिया के मत्थे मढ़ दिया. जिसमे एक आईपीएस शिशिर की कार्यशैली भी मीडिया में चर्चा का विषय बन गई है.
हालाँकि अब बसपा सुप्रीमो बहन मायावती जी ने भी दबे स्वर में इसकी आलोचना कर के अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है. और भीम आर्मी के मुख्य नेता चन्द्र शेखर पर लड़की के परिजनों को भड़काने के आरोप भी लग रहे हैं. कुल मिलाकर मामला राजनितिक रूप ले चूका है.
इसके साथ ही मीडिया भी अपने पुराने तौर ढर्रे से उतर कर अब इस मामले में कूद पड़ा है.