आज दिनांक 30 सितम्बर को आया है ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद केस का फैसला जिसमे भाजपा के मशहूर नेता लाल कृष्ण आडवानी, उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी को बाइज्ज़त बरी करते हुए कहा कि यह कोई सुनियोजित साजिश नहीं थी और इसके उपयुक्त सबूत भी मौजूद नहीं हैं.
इस पर विपक्ष और AIMIM के नेता अस्सद्दुदीन ओवैसी कि नकारात्मक प्रतिक्रिया आई है. वही भाजपा के नेताओ के भी सधी हुई भाषा में बयान ट्वीटर पर आने शुरू हो चुके हैं. जिसमे राजनाथ सिंह और उमा भारती के साथ
राजनाथ सिंह ने इस पर प्रतिकिया देते हुए कहा कि “लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री कल्याण सिंह, डा. मुरली मनोहर जोशी, उमाजी समेत ३२ लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का मैं स्वागत करता हूँ। इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है।”
इसके बाद मुरली मनोहर जोशी एन भी अपना वक्तव्य देते हुए बताया कि सर्वोच्च अदालत के फैसले से ही यह साबित हो जाता है कि हमारे मस्जिद गिराने के लिए कभी भी और किसी भी तरह कि कोई साजिश नहीं रची गई थी.
वही इस मामले में कभी आरोपी रहे शिवसेना के पूर्व सांसद सतीश प्रधान ने भी संतोष प्रकट किया है और थोड़ी राहत की सांस भी ली है. भाजपा के मार्गदर्शक मंडली के अगुवाई करने वाले अहम् नेता श्री लाल कृष्णा आडवानी ने भी अपना विडियो सन्देश जारी किया जिसमे वो इस बारे में अपने विचार प्रकट करते देखे जा रहे हैं.
उनके कथनानुसार “यह बहुत महत्वपूर्ण फैसला है और हमारे लिए खुशी की बात है। जब हमने कोर्ट के आदेश की खबर सुनी तो हमने जय श्री राम का जाप कर इसका स्वागत किया”.
आपको शिवराज सिंह का यह बयान भी पढ़ना चाहिए जिसमे उन्होंने पूरा दोष तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर लगा दिया. उनके कहने के हिसाब से “अंतत: सत्य की विजय हुई। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर जो हमारे संत,महात्मा,वरिष्ठ नेताओं पर झूठे आरोप लगाये थे, वो निर्मूल सिद्ध हुए हैं। विशेष अदालत के फैसले से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं!”
आपकी जानकारी के लिए इस विवाद के बारे में हम बताना चाहेंगे कि यह मामला 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद से शुरू हुआ था. जिसे बारे में आप विकिपीडिया या गूगल की मदद से इतिहास जान सकते हैं.